सिद्ध कुटी आश्रम चारों ओर वनों से घिरा हु आ पर्यावरण का अनोखा संगम है।
देवेंद्र सैनी देव
बिजनौर। संपूर्ण विश्व इस बात को जान चुका है कि पेड़ पौधे ही हमारे जीवन का आधार है। पेड़ पौधों के बिना मानव जीवन के अस्तित्व की कल्पना ही नहीं की जा सकती। पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक मानव का परम कर्तव्य है।
पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से ही सैकड़ो वर्ष पूर्व सिद्ध कुटी आश्रम की स्थापना की गई थी। आस्था विश्वास आध्यात्मिक एवं मनोकामना का केंद्र सिद्ध कुटी आश्रम पतित पावनी मां भागीरथी गंगा के तट पर घने वनों के बीच स्थित है। जहां पर प्रत्येक दिन अनेक श्रद्धालु सिद्ध कुटी आश्रम पहुंचकर मन्नत मांगते हैं। देवभूमि उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार में चिड़ियापुर से 5 किलोमीटर पश्चिम दिशा में मां गंगा के तट पर स्थित सिद्ध कुटी आश्रम पर ज्येष्ठ माह की दशहरा को विशाल मेला लगता है। जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भेली (, सवा किलो गुड) चढ़ाने आते हैं और मन्नत मांगते हैं। इस पौराणिक मंदिर पर पर्यावरण का अनोखा संगम है सिद्ध कुटी आश्रम चारों ओर से वनों से घिरा हुआ है। आश्रम के चारों ओर बहुत बड़ा बगीचा है जिसमें आम, चीकू, शरीफा, जामुन, लीची सहित अन्य फलदार पौधे लगाए गए हैं। जिससे आश्रम के चारों ओर हरियाली की छठा बिखरी रहती है। यहां पहुंचकर श्रद्धालु भौतिक सुख सुविधाओं को त्याग कर ईश्वर भक्ति में लीन हो जाता है।
नजीबाबाद हरिद्वार रोड पर चिड़ियापुर ढाबों के सामने से 5किलोमीटर पश्चिम दिशा में सम्मोहित करने वाला स्थल सिद्ध कुटी मौजूद है। सिद्ध कुटी जान के लिए यूं तो पक्का मार्ग है लेकिन एक किलोमीटर कच्चे मार्ग से वनों के बीच से होकर जाना पड़ता है जो कच्चा रास्ता है अनेक बार श्रद्धालुओं एवं आश्रम के व्यवस्थापक महंत श्री श्री 1008 श्री बालक दास जी महाराज ने शासन प्रशासन से वनों के बीच के रास्ते को पक्का कराए जाने की मांग की है।
आस्था विश्वास श्रद्धा एवं सेवा सुमिरन और आध्यात्मिक केंद्र सिद्ध कुटी आश्रम पर श्रद्धालु भंडारे आयोजित करते हैं। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत नांगल सोती निवासी मुनि देव कुमार सैनी प्रत्येक वर्ष भंडारा आयोजित करते हैं वही ज्येष्ठ माह की दशहरा को वालिया ग्रुप नजीबाबाद द्वारा विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है। मुनि देव कुमार सैनी द्वारा 12 मई बुद्ध पूर्णिमा को आयोजित भंडारे में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। आश्रम परिसर में पहुंचकर मन को असीम शांति का अहसास हुआ। मुनिदेव सैनी ने बताया कि महंत बाल भगवान सिद्ध पुरुष थे उनकी दिव्य दृष्टि से कोई नहीं बचता था वह सभी को समान समझते थे। सिद्ध कुटी आश्रम पर जंगली जानवर शेर चीता हाथी जैसे वन्य जीव आज भी विचरण करते हैं। सिद्ध कुटी आश्रम के महंत श्री श्री 1008 महंत श्री बालक दास जी का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उनसे कम ही बात हो पाई। सिद्ध कुटी आश्रम वास्तव में बहुत ही रमणीक और दर्शनीय स्थल है वहां पहुंचकर शांति का एहसास होता है गंगा का कल कल करता पानी, प्राकृतिक छटा गौशाला एवं फलदार वृक्ष सम्मोहित करते हैं गंगा में सभी तीर्थ निहित है। गंगा जल की एक बूंद में मोक्ष का मर्म छिपा है। गंगा की महत्ता आज से नहीं बल्कि सदियों पुरानी है मां गंगा को धरती पर लाने के लिए भागीरथ ने जो तपस्या की थी उसी का परिणाम है गंगा। गंगा के विकराल रूप ने सिद्ध कुटी आश्रम से ऊपर और नीचे खूब तांडव किया लेकिन कुटी के सामने शांत रूप में बहती रही। सचमुच सिद्ध कुटी आश्रम आस्था, विश्वास, प्रेम, श्रद्धा एवं मनोकामना का संगम है। केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि श्रद्धालुओं की भक्ति एवं आस्था को देखते हुए सिद्ध कुटी परिसर का सर्वांगीण विकास करें जिससे सिद्ध कुटी की छठा पूरे प्रदेश में ही नहीं अपितु पुरे राष्ट्र में फैले।